Pakistan Afghanistan Ceasefire: पाक-अफगान के हमलों को लेकर ये क्या बोल गई पाकिस्तानी जनता | N18GPakistan Afghanistan Ceasefire: पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सीज फायर पर समझौता हो गया। कतर में दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने सीज फायर पर दस्तखत किया। युद्ध विराम के समझौते पर पाकिस्तान की जनता की प्रतिक्रिया सुनिए। Find Latest News, Top Headlines And breaking news only on News18 Punjab Youtube Channel.For All Live Coverage, Exclusive And Latest News Update, Watch The LIVE TV Of News18 Punjab, Catch The Latest News LIVENews18 Mobile App: https://onelink.to/desc-youtubeNews 18 Punjab is an exclusive news channel on YouTube which streams news related to Punjab, Nation and the World. Along with the news, the channel also has debates on contemporary topics and shows on special series which are interesting and informative.News18 ਪੰਜਾਬ एक क्षेत्रीय न्यूज़ चैनल है जिसपर ਪੰਜਾਬ, हरियाणा, हिमाचल, देश एवं विदेश की खबरें प्रकाशित की जाती हैं | समाचारों क साथ-साथ इस चैनल पर समकालीन विषयों पर वाद-विवाद एवं विशेष सीरीज भी प्रकाशित होती हैं जो की काफी रोचक एवं सूचनापूर्ण हैं | n18oc_Subscribe to our channel: http://bit.ly/1IMIp73 For Latest news and updates, log on to: https://bit.ly/2Cx91OkFor Latest news and updates, log on to: https://onelink.to/desc-youtubeFollow Us on Twitter:https://twitter.com/News18Punjab Like Us on Facebook:https://www.facebook.com/News18Punjab
तिरुवनंतपुरम, 20 अक्टूबर (भाषा) तिरुवनंतपुरम के नेदुमनगड में ‘सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया’ (एसडीपीआई) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) कार्यकर्ताओं के बीच हुई झड़प के बाद कथित प्रतिशोध में एक एंबुलेंस को आग के हवाले कर दिया गया, जबकि दूसरी को क्षतिग्रस्त किया गया। पुलिस ने सोमवार को यह जानकारी दी। नेदुमनगड पुलिस के अनुसार, [...]
असमंजस रहता है और पता नहीं चल पाता कि रत्न मिलेगा या लक्ष्मी आएगी। सुना है ज़िम्मेदारी से भरा खर्चीला काम है लेकिन संजीदा कोशिश करो तो कौन सा काम है जो नहीं हो सकता। थोडा रिस्क तो है। महत्त्वपूर्ण, ज़रूरी, बड़े और रिस्की काम में सफलता हासिल करने के लिए कई चीज़ें निवेश करनी पड़ती हैं। एक लक्ष्मी और एक रत्न सहजता से मिल जाए तो आम बंदा, सामान्य तौर पर पंगा नहीं लेता। मान लिया जाता है कि परिवार पूरा हो गया। देश की जनसंख्या घटाने में कुछ सहयोग भी हो जाता है।परिवार में लक्ष्मी और दुर्गा पधार चुकी हों तो भी संपन्न व्यक्ति एक प्रयास और ज़रूर करता है। सामान्य कमज़ोर आर्थिकी वाला बंदा ऐसा करे तो पंगा कहा जाता है लेकिन स्थिति और सोच अपनी अपनी होती है। कई दम्पत्ति एक ही शिशु पैदा करते हैं, चाहे लक्ष्मी मिले या रत्न। सारा खेल पैसे का है। समझदारी भी काफी काम करती है। कभी समझदारी भी न पिघलने वाली बर्फ की तरह जम जाती है। इसे भी पढ़ें: क्रूर मुस्कान (व्यंग्य)आजकल दो बच्चों का रिवाज़ है। कुछ परिवारों में इससे थोड़ी परेशानी हो रही है जो बच्चा किसी भी तरह से विदेश जा पा रहा है, जा रहा है। दो बच्चों में से अगर एक पुत्र है और वह विदेश चला जाता है तो माता पिता को एक दूसरे के सहारे रहना, खाना, पीना और जीना पड़ता है। दूसरा बच्चा बेटी हो तो वह अपना परिवार, घरबार और ससुराल देखती है। वैसे भी अगर एक बच्चा विदेश में न होकर, देश में भी दूर नौकरी करता है तो ज़रूरी नहीं कि माता पिता उसके परिवार के साथ रह पाते हैं। उन्हें एक दूसरे के साथ रहना होता है। एक बच्चा और हो तो सुविधा रहती है। लड़ाई झगड़ा करना हो, किसी को पीटना हो तो तीन बच्चे ठीक रहते हैं। आजकल कोई बाहरी व्यक्ति, किसी की लड़ाई में अपनी टांग नहीं फंसाना चाहता इसलिए एक बच्चा और हो यानी तीन हों तो बेहतर है। किसी भी कीमत पर उसको अपने पास रखना व्यावहारिक है ताकि संस्कृति, परम्परा अनुसार बुढ़ापे का सहारा बने। अगर बुरे वक़्त के कारण कुछ अप्रत्याशित हो जाए तो एक बच्चा तो सलामत रहे। पहला बच्चा अभिभावकों की बात नहीं मानेगा तो तीसरा मान सकता है। मातापिता के ही ख्वाब पूरे करने के लिए तीन में से एक बच्चा तो कोशिश कर ही सकता है।यह काम अब सामाजिक स्तर पर आसान हो गया है। उन्होंने भी कहा है कि बच्चे तो तीन ही पैदा करने चाहिए। संपन्न दम्पत्ति तो आधा दर्जन भी कर सकते हैं। आग्रह करने वाले युगदृष्टा हैं। दूर की सोच पोषित कर सकने में सक्षम हैं तभी तो ऐसा कहा। उनके अनुसार कम बच्चे वालों के परिवार से जुड़े समाज का अस्तित्व खत्म हो जाता है। उन्होंने समझाया कि जनसंख्या देश के लिए बोझ और अवसर दोनों हैं। बोझ तो उन परिवारों के लिए है जहां भारत का रोटी, कपडा और मकान सीरियल चल रहा है। वैसे इस मामले में मुफ्त प्रायोजक मिलते रहे हैं। राजनीति के लिए यह अवसर गिनती करने का है। दो से भले तीन माने गए हैं। वैसे भी तीन, दो से ज्यादा ही होते हैं। जनसंख्या बढ़ेगी तो विश्वगुरुओं का रुतबा बढेगा। - संतोष उत्सुक
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