पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एक आरोपी को जमानत दी है जो 5 साल से ज्यादा समय से जेल में बंद था। यह मामला यूएपीए (Unlawful Activities Prevention Act) के तहत दर्ज किया गया था। कोर्ट ने कहा कि सरकारी पक्ष यह साबित नहीं कर सका कि आरोपी ने कभी किसी आतंकी वारदात को करने के लिए किसी को उकसाया, मदद की या साजिश में हिस्सा लिया। आरोपी पर आरोप था कि उसने धर्मिंदर सिंह उर्फ गुग्गनी और उसके साथियों को अवैध हथियार सप्लाई किए थे। इन हथियारों का इस्तेमाल हत्या, डकैती, लूट और फिरौती जैसी वारदातों के लिए किया जाना बताया गया था। इस पर आईपीसी की धारा 120-B, आर्म्स एक्ट की धारा 25 और यूएपीए की धारा 10, 13, 18 और 20 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। जानिए कोर्ट ने क्या कहा जस्टिस दीपक सिब्बल और जस्टिस लापिता बनर्जी की बेंच ने कहा कि मान लो कि आरोपी के साथ जुड़े लोग आतंकवादी गतिविधियों में शामिल थे, तब भी रिकॉर्ड पर ऐसा कोई सबूत नहीं है कि आरोपी ने खुद किसी आतंकी वारदात को बढ़ावा दिया, उकसाया, सलाह दी या साजिश की। इतने लंबे समय तक हिरासत में रखने के बावजूद अभियोजन कोई पुख्ता सबूत नहीं ला सका। कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्य सरकार ने पांच साल में यह भी कोशिश नहीं की कि मुख्य आरोपी धर्मिंदर सिंह उर्फ गुग्गनी, जो तिहाड़ जेल में किसी और केस में सजा काट रहा है, उससे पूछताछ की जाए। इतना ही नहीं, इस केस में उसका अब तक गिरफ्तार न होना और पूछताछ न होना गंभीर कमी है। .30 बोर की पिस्तौल और 4 जिंदा कारतूस बरामद अभियोजन पक्ष ने बताया कि आरोपी से सिर्फ एक .30 बोर की पिस्तौल और 4 जिंदा कारतूस मिले थे। इसके अलावा कोई भी बड़ा सबूत या दस्तावेज नहीं मिला जो उसे आतंकी वारदात से जोड़ सके। कोर्ट ने कहा कि आरोपी को केवल पुलिस की गुप्त सूचना और कुछ गवाहों के बयानों के आधार पर जोड़ा गया है। धीमी सुनवाई पर कोर्ट की टिप्पणी कोर्ट ने कहा कि आरोपी 5 साल 6 महीने से ज्यादा समय से जेल में बंद है, लेकिन ट्रायल आगे नहीं बढ़ा। 24 अप्रैल 2024 को आरोप तय किए गए थे और 40 गवाहों में से अब तक सिर्फ 1 गवाह की गवाही हुई है। राज्य सरकार यह भी नहीं बता सकी कि केस कब तक पूरा होगा। जस्टिस बनर्जी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट कई बार कह चुका है कि सिर्फ लंबी हिरासत ही जमानत देने का आधार बन सकती है, क्योंकि तेज सुनवाई (Speedy Trial) हर आरोपी का मौलिक अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट का हवाला कोर्ट ने कहा कि Union of India vs K.A. Najeeb केस में सुप्रीम कोर्ट साफ कर चुका है कि यूएपीए की धारा 43-D(5) जमानत देने से अदालतों को नहीं रोक सकती, अगर यह आरोपी के मौलिक अधिकार का उल्लंघन कर रही हो। हाईकोर्ट ने कहा कि अभियोजन न तो सबूत पेश कर सका और न ही ट्रायल में प्रगति दिखाई। ऐसे में आरोपी को जेल में और रखना Article 21 (जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार) का उल्लंघन होगा। इसलिए अदालत के पास आरोपी को जमानत देने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।
इंजीनियर्स डे 2025 के अवसर पर अडानी सीमेंट ने फ्यूचरएक्स अकादमिक प्रोग्राम लॉन्च किया है. अडानी सीमेंट अपने फ्यूचरएक्स प्रोग्राम के तहत देश के 100 से अधिक प्रमुख इंजीनियरिंग संस्थानों के साथ साझेदारी करने जा रहा है. इस साझेदारी का फायदा छात्रों को होगा.
Farah Khan toured Baba Ramdev’s Patanjali campus in Haridwar, exploring his stone-made jhopdi, private Shiv puja temple, and kitchen feeding 50,000 people daily. Baba also revealed his ₹1 lakh kamandal and cooked a satvik recipe for her.
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