कोल्लम (केरल), 25 अक्टूबर (भाषा) मोजाम्बिक तट के पास हाल में हुए एक नौका हादसे में जान गंवाने वाले 35 वर्षीय युवक का शव शनिवार को केरल के कोल्लम जिले में स्थित उसके पैतृक स्थान लाया गया। यह जानकारी रिश्तेदारों ने दी। थेवलक्कारा के नाडुविलकारा के श्रीराग राधाकृष्णन उन 21 व्यक्तियों में शामिल थे जो [...]
AI Data Analyst Success Story: अविनाश उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के रहने वाले हैं. वे एक एआई डाटा एनालिस्ट (AI Data Analyst) हैं. लंदन स्थित कोरिनियम ग्लोबल इंटेलिजेंस ने टॉप-100 ग्लोबल एआई एंड डेटा एनालिटिक्स लीडर्स की लिस्ट उनका नाम शामिल किया है. आइए, जानते हैं उनकी सक्सेस स्टोरी. The post यूपी के AI Data Analyst ने रचा इतिहास! दुनिया के टॉप 100 AI की लिस्ट में हुआ शामिल appeared first on Prabhat Khabar.
Chhath Puja 2025 : छठ महापर्व की शुरुआत आज 25 अक्तूबर 2025 से है. इस चार दिवसीय महापर्व की शुरुआत भले ही बिहार से हुई हो, लेकिन आज यह त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है. यह एक कठिन लेकिन बहुत ही सहज व्रत है, जिसमें लोगों की अपार आस्था है.यह एक ऐसा व्रत है, जिसमें बिना पुरोहित और मंत्र के मन की शुद्धता और समर्पण से ईश्वर की आराधना की जाती है. छठ पर्व की सहजता ने इसे लोगों के दिलों से जोड़ा है और इसी ने इसे महापर्व का दर्जा भी दिया है. आइए जानते हैं क्या है छठ महापर्व.क्या है छठ महापर्व?छठ महापर्व चार दिनों का होता है और इस पर्व में व्रत करने वाले के अलावा पूरे परिवार की भागीदारी होती है. यह सामूहिकता का त्योहार है, जिसमें सहयोग के लिए सहर्ष लोग तैयार हो जाते हैं.छठ महापर्व में भगवान सूर्य की पूजा की जाती है और उनसे पूरे परिवार, संतान के लिए सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना की जाती है. छठ महापर्व षष्ठी तिथि को मनाया जाता है, इसलिए देवी के छठे स्वरूप जिनकी पूजा संतान रक्षा के लिए की जाती है उनकी पूजा भी छठी मैया के रूप में होती है. बच्चों के जन्म के बाद भी छठे दिन इसी देवी छठी मैया की पूजा होती है. क्या छठ महापर्व बिना पंडित या पुजारी के होता है संपन्न?छठ महापर्व की खासियत में यह बात सबसे अहम है कि इस पूजा के लिए किसी पंडित या पुजारी की जरूरत नहीं होती है. छठ में व्रत करने वाला व्रती, पूरी शुद्धता के साथ व्रत की शुरुआत करता है और भगवान सूर्य और छठी मैया की आराधना करता है.व्रती कोई भी हो सकता है. स्त्री, पुरुष, विवाहित, अविवाहित या फिर विधवा या विधुर. व्रत में काफी सरलता है, किसी कठिन मंत्र की जरूरत नहीं है. बस आप अपनी इच्छा से भगवान के सामने समर्पण करें और उनसे विनती करें.अपने शब्दों में अपनी शुद्ध भावना के साथ. पूजा में किसी कर्मकांड की जरूरत नहीं है. कुछ दीये जलते हैं, अगरबत्तियां जलाई जाती है और कुछ फूल चढ़ाए जाते हैं अगर उपलब्ध हो तो. आटा-गुड़ से बना टेकुआ और कोई भी मौसमी फल भगवान को अर्पित किया जाता है. यह सब कुछ व्रती खुद करता है उसे पुजारी की जरूरत नहीं होती है. हां,लेकिन परिवार और पड़ोसी इस पूजा में सहभागी होते हैं.Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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