केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षाओं को लेकर बड़ा बदलाव किया है. अब छात्र अतिरिक्त विषय चुनने में पूरी आज़ादी नहीं पाएंगे. नए नियमों के मुताबिक, कक्षा 10 में सिर्फ 2 अतिरिक्त विषय और कक्षा 12 में केवल 1 अतिरिक्त विषय की ही अनुमति होगी. इतना ही नहीं, चुने गए विषयों की पढ़ाई लगातार दो साल तक करनी होगी, तभी छात्र उस विषय का बोर्ड एग्जाम दे पाएंगे. जिन स्कूलों ने किसी विषय के लिए सीबीएसई से मंजूरी नहीं ली है, वहां के छात्रों को वह विषय चुनने की इजाजत नहीं होगी.अतिरिक्त विषयों पर नियमसीबीएसई ने एडिश्नल (अतिरिक्त) विषयों के लिए भी गाइडलाइन बनाई है. कक्षा 10 के छात्र 5 मुख्य विषयों के अलावा सिर्फ 2 अतिरिक्त विषय ही ले सकेंगे. वहीं कक्षा 12 में केवल 1 एडिश्नल विषय की अनुमति होगी.सिर्फ विषय चुनना काफी नहीं होगा. छात्रों को इन विषयों की पढ़ाई लगातार दो साल करनी होगी. यानी 10वीं के लिए 9वीं और 10वीं दोनों साल पढ़ना जरूरी होगा. इसी तरह 12वीं के लिए 11वीं और 12वीं दोनों सालों में विषय पढ़ना होगा. तभी उन्हें बोर्ड परीक्षा में उस विषय को शामिल करने की इजाजत मिलेगी.स्कूल की अनुमति और सुविधाएं जरूरीबोर्ड ने यह भी साफ किया है कि कोई भी स्कूल तभी एडिश्नल विषय ऑफर कर सकता है जब उसके पास बोर्ड की अनुमति हो. साथ ही स्कूल में उस विषय के लिए शिक्षक, लैब और अन्य जरूरी सुविधाएं होनी चाहिए. अगर किसी स्कूल ने मंजूरी नहीं ली है या उसके पास संसाधन नहीं हैं तो छात्र उस विषय को परीक्षा में नहीं चुन पाएंगे.यह भी पढ़ें - रेखा ज्यादा पढ़ी-लिखी हैं या जया भादुड़ी? देख लें पुराने जमाने की इन दो हसीनाओं की डिग्रीकम्पार्टमेंट और एसेंशियल रिपीट वाले छात्रों के लिए विकल्पअगर कोई छात्र अपने आखिरी साल में किसी एडिश्नल विषय में फेल हो जाता है और उसे कम्पार्टमेंट या एसेंशियल रिपीट श्रेणी में रखा जाता है, तो वह प्राइवेट कैंडिडेट (निजी परीक्षार्थी) के तौर पर दोबारा परीक्षा दे सकता है.निजी परीक्षार्थियों को किसी स्कूल से जुड़ने की जरूरत नहीं होती. वे घर पर पढ़ाई कर सकते हैं और सीधे बोर्ड परीक्षा में शामिल हो सकते हैं. यह विकल्प उन छात्रों के लिए मददगार है जो दोबारा मौका पाना चाहते हैं.यह भी पढ़ें - DSSSB Recruitment 2025: दिल्ली में निकली 615 पदों पर वैकेंसी, आज है अप्लाई करने का आखिरी चांस
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षाओं को लेकर बड़ा बदलाव किया है. अब छात्र अतिरिक्त विषय चुनने में पूरी आज़ादी नहीं पाएंगे. नए नियमों के मुताबिक, कक्षा 10 में सिर्फ 2 अतिरिक्त विषय और कक्षा 12 में केवल 1 अतिरिक्त विषय की ही अनुमति होगी. इतना ही नहीं, चुने गए विषयों की पढ़ाई लगातार दो साल तक करनी होगी, तभी छात्र उस विषय का बोर्ड एग्जाम दे पाएंगे. जिन स्कूलों ने किसी विषय के लिए सीबीएसई से मंजूरी नहीं ली है, वहां के छात्रों को वह विषय चुनने की इजाजत नहीं होगी.अतिरिक्त विषयों पर नियमसीबीएसई ने एडिश्नल (अतिरिक्त) विषयों के लिए भी गाइडलाइन बनाई है. कक्षा 10 के छात्र 5 मुख्य विषयों के अलावा सिर्फ 2 अतिरिक्त विषय ही ले सकेंगे. वहीं कक्षा 12 में केवल 1 एडिश्नल विषय की अनुमति होगी.सिर्फ विषय चुनना काफी नहीं होगा. छात्रों को इन विषयों की पढ़ाई लगातार दो साल करनी होगी. यानी 10वीं के लिए 9वीं और 10वीं दोनों साल पढ़ना जरूरी होगा. इसी तरह 12वीं के लिए 11वीं और 12वीं दोनों सालों में विषय पढ़ना होगा. तभी उन्हें बोर्ड परीक्षा में उस विषय को शामिल करने की इजाजत मिलेगी.स्कूल की अनुमति और सुविधाएं जरूरीबोर्ड ने यह भी साफ किया है कि कोई भी स्कूल तभी एडिश्नल विषय ऑफर कर सकता है जब उसके पास बोर्ड की अनुमति हो. साथ ही स्कूल में उस विषय के लिए शिक्षक, लैब और अन्य जरूरी सुविधाएं होनी चाहिए. अगर किसी स्कूल ने मंजूरी नहीं ली है या उसके पास संसाधन नहीं हैं तो छात्र उस विषय को परीक्षा में नहीं चुन पाएंगे.यह भी पढ़ें - रेखा ज्यादा पढ़ी-लिखी हैं या जया भादुड़ी? देख लें पुराने जमाने की इन दो हसीनाओं की डिग्रीकम्पार्टमेंट और एसेंशियल रिपीट वाले छात्रों के लिए विकल्पअगर कोई छात्र अपने आखिरी साल में किसी एडिश्नल विषय में फेल हो जाता है और उसे कम्पार्टमेंट या एसेंशियल रिपीट श्रेणी में रखा जाता है, तो वह प्राइवेट कैंडिडेट (निजी परीक्षार्थी) के तौर पर दोबारा परीक्षा दे सकता है.निजी परीक्षार्थियों को किसी स्कूल से जुड़ने की जरूरत नहीं होती. वे घर पर पढ़ाई कर सकते हैं और सीधे बोर्ड परीक्षा में शामिल हो सकते हैं. यह विकल्प उन छात्रों के लिए मददगार है जो दोबारा मौका पाना चाहते हैं.यह भी पढ़ें - DSSSB Recruitment 2025: दिल्ली में निकली 615 पदों पर वैकेंसी, आज है अप्लाई करने का आखिरी चांस
पैंक्रियास ट्रांसप्लांट एक ऐसा ऑपरेशन है जिसमें बीमार पैंक्रियास को मृत डोनर के हेल्दी पैंक्रियास से बदल दिया जाता है. जिसके बाद कई मरीजों को इंसुलिन पर निर्भरता से पूरी तरह निजात मिल सकती है.
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