असमंजस रहता है और पता नहीं चल पाता कि रत्न मिलेगा या लक्ष्मी आएगी। सुना है ज़िम्मेदारी से भरा खर्चीला काम है लेकिन संजीदा कोशिश करो तो कौन सा काम है जो नहीं हो सकता। थोडा रिस्क तो है। महत्त्वपूर्ण, ज़रूरी, बड़े और रिस्की काम में सफलता हासिल करने के लिए कई चीज़ें निवेश करनी पड़ती हैं। एक लक्ष्मी और एक रत्न सहजता से मिल जाए तो आम बंदा, सामान्य तौर पर पंगा नहीं लेता। मान लिया जाता है कि परिवार पूरा हो गया। देश की जनसंख्या घटाने में कुछ सहयोग भी हो जाता है।परिवार में लक्ष्मी और दुर्गा पधार चुकी हों तो भी संपन्न व्यक्ति एक प्रयास और ज़रूर करता है। सामान्य कमज़ोर आर्थिकी वाला बंदा ऐसा करे तो पंगा कहा जाता है लेकिन स्थिति और सोच अपनी अपनी होती है। कई दम्पत्ति एक ही शिशु पैदा करते हैं, चाहे लक्ष्मी मिले या रत्न। सारा खेल पैसे का है। समझदारी भी काफी काम करती है। कभी समझदारी भी न पिघलने वाली बर्फ की तरह जम जाती है। इसे भी पढ़ें: क्रूर मुस्कान (व्यंग्य)आजकल दो बच्चों का रिवाज़ है। कुछ परिवारों में इससे थोड़ी परेशानी हो रही है जो बच्चा किसी भी तरह से विदेश जा पा रहा है, जा रहा है। दो बच्चों में से अगर एक पुत्र है और वह विदेश चला जाता है तो माता पिता को एक दूसरे के सहारे रहना, खाना, पीना और जीना पड़ता है। दूसरा बच्चा बेटी हो तो वह अपना परिवार, घरबार और ससुराल देखती है। वैसे भी अगर एक बच्चा विदेश में न होकर, देश में भी दूर नौकरी करता है तो ज़रूरी नहीं कि माता पिता उसके परिवार के साथ रह पाते हैं। उन्हें एक दूसरे के साथ रहना होता है। एक बच्चा और हो तो सुविधा रहती है। लड़ाई झगड़ा करना हो, किसी को पीटना हो तो तीन बच्चे ठीक रहते हैं। आजकल कोई बाहरी व्यक्ति, किसी की लड़ाई में अपनी टांग नहीं फंसाना चाहता इसलिए एक बच्चा और हो यानी तीन हों तो बेहतर है। किसी भी कीमत पर उसको अपने पास रखना व्यावहारिक है ताकि संस्कृति, परम्परा अनुसार बुढ़ापे का सहारा बने। अगर बुरे वक़्त के कारण कुछ अप्रत्याशित हो जाए तो एक बच्चा तो सलामत रहे। पहला बच्चा अभिभावकों की बात नहीं मानेगा तो तीसरा मान सकता है। मातापिता के ही ख्वाब पूरे करने के लिए तीन में से एक बच्चा तो कोशिश कर ही सकता है।यह काम अब सामाजिक स्तर पर आसान हो गया है। उन्होंने भी कहा है कि बच्चे तो तीन ही पैदा करने चाहिए। संपन्न दम्पत्ति तो आधा दर्जन भी कर सकते हैं। आग्रह करने वाले युगदृष्टा हैं। दूर की सोच पोषित कर सकने में सक्षम हैं तभी तो ऐसा कहा। उनके अनुसार कम बच्चे वालों के परिवार से जुड़े समाज का अस्तित्व खत्म हो जाता है। उन्होंने समझाया कि जनसंख्या देश के लिए बोझ और अवसर दोनों हैं। बोझ तो उन परिवारों के लिए है जहां भारत का रोटी, कपडा और मकान सीरियल चल रहा है। वैसे इस मामले में मुफ्त प्रायोजक मिलते रहे हैं। राजनीति के लिए यह अवसर गिनती करने का है। दो से भले तीन माने गए हैं। वैसे भी तीन, दो से ज्यादा ही होते हैं। जनसंख्या बढ़ेगी तो विश्वगुरुओं का रुतबा बढेगा। - संतोष उत्सुक
मशहूर कॉमेडियन असरानी का आज निधन हो गया है. दिग्गज एक्टर लंबे समय से बीमार थे और आज दोपहर तीन बजे उन्होंने आखिरी सांस ली.
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी यानी JNU में वामपंथी स्टूडेंट्स का विरोध प्रदर्शन शनिवार शाम को तनावपूर्ण हो गया। वे स्टूडेंट यूनियन अखिल भारतीय विधार्थी परिषद (ABVP) के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। इसी दौरान दिल्ली पुलिस से झड़प हो गई। वामपंथी छात्रों ने दिल्ली पुलिस पर क्रूरता के साथ हमले का आरोप लगाया है। वहीं, दिल्ली पुलिस ने JNU छात्रसंघ के अध्यक्ष नितीश कुमार को भी हिरासत में लिया है। पुलिस ने 28 छात्रों को हिरासत में लिया लेफ्ट स्टूडेंट्स शनिवार, 18 अक्टूबर की शाम JNU कैंपस से वसंत कुंज नॉर्थ थाने की ओर मार्च करने वाले थे। हालांकि पुलिस ने बैरिकेडिंग करके छात्रों को कैंपस के वेस्ट गेट पर रोक दिया। इस दौरान छात्रों की पुलिसकर्मियों के साथ धक्का मुक्की हुई। पुलिस ने 28 छात्रों को हिरासत में ले लिया है। इनमें 19 लड़के और 9 लड़कियां शामिल हैं। वहीं, पुलिस ने छात्रों पर आरोप लगाया है कि प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने बैरिकेड तोड़ दिए और धक्का-मुक्की में कई पुलिसकर्मी घायल हुए। मार्च बंद करवाने को लेकर विवाद हुआ वसंत कुंज नॉर्थ थाने की ओर मार्च कर रहे लेफ्ट से जुड़े छात्रों को पुलिस ने जेएनयू वेस्ट गेट पर रोक दिया। JNUSU प्रेसिडेंट, वाइस प्रेसिडेंट और सेक्रटरी हिरासत में JNU छात्र संघ के अध्यक्ष नितीश कुमार, उपाध्यक्ष मनीषा और महासचिव मुन्तिया फातिमा को भी हिरासत में लिया गया है। इसके बाद छात्रसंघ अध्यक्ष ने वीडियो भी जारी कर इसकी जानकारी दी। पुलिस के मुताबिक दशहरे के दिन लेफ्ट और राइट विंग छात्रों के बीच कैंपस में झड़प हुई थी। पुलिस ने छात्र संगठनों के नेताओं से बात की और कानूनी कार्रवाई का वादा किया था, लेकिन छात्रों ने घेराव जारी रखा उसके बाद ये कारवाई की गई है। पुलिस के एक्शन से नाराज थे छात्र 3 अक्टूबर को जनरल बॉडी मीटिंग में मारपीट के मामले के बाद पुलिस की तरफ से एक्शन ना लिए जाने से लेफ्ट गुट के छात्र नाराज थे। छात्रसंघ अध्यक्ष ने हिरासत में लिए जाने के बाज वीडियो जारी किया। इसमें उन्होंने कहा कि मीटिंग के दिन मुझे, वाइस प्रेसिडेंड और अन्य कार्यकर्ताओं ने एबीवीपी के लोगों ने कई घंटों तक बंधक बनाया। हमने पुलिस से शिकायत की। पुलिस आई लेकिन दिल्ली पुलिस के सामने एबीवीपी ने हमें मारा। आज जब हम अपना विरोध जता रहे थे दिल्ली पुलिस ने भी हमें मारा, कपड़े फाड़े। हमें इन्होंने डिटेन कर लिया है लेकिन अभी तक एबीवीपी पर एफआईआर दर्ज नहीं हुई है। लेफ्ट का आरोप- पुलिस ABVP को बचाती है लेफ्ट संगठनों का आरोप है कि पुलिस अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के छात्रों को बचाती है और उन पर कार्रवाई नहीं करती। संगठन का कहना है कि कार्रवाई का वादा किया गया था लेकिन अभी तक कुछ भी नहीं हुआ। बिना इजाजत के प्रदर्शन कर रहे थे छात्र पुलिस के मुताबिक शाम करीब 6 बजे 70-80 छात्र बिना इजाजत वेस्ट गेट पर इकट्ठे हुए और धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया। लेकिन छात्रों ने उन्हें तोड़ने की कोशिश की। इस झड़प में 6 पुलिसकर्मी घायल हुए, जिनमें 4 पुरुष और 2 महिला हैं। उन्हें प्राथमिक उपचार के लिए भेजा गया। पुलिस ने कहा- छात्रों ने हाथापाई की छात्रों ने कहा कि दशहरे के दिन लड़ाई में पुलिस ने सिर्फ एक तरफ का पक्ष लिया, जबकि एबीवीपी के छात्रों ने हिंसा की थी। पुलिस ने बताया कि हाथापाई के समय कुछ छात्रों ने गाली-गलौज भी की।हिरासत में लिए गए छात्रों को नियंत्रित करने के लिए कार्रवाई की गई ताकि कोई बड़ा हादसा न हो। विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों से शांत रहने और नियम मानने की अपील की है। JNU प्रशासन ने कहा जांच होगी JNU प्रशासन ने कहा है कि मामले की जांच की जा रही है और जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, कैंपस में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके। यह घटना छात्र संघ चुनाव से ठीक पहले हुई है, जब सभी छात्र संगठन कैंपस में सक्रिय हैं और प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। ऐसे में यह टकराव चुनावी माहौल को और अधिक संवेदनशील बना सकता है। ये खबर भी पढ़ें.... DUSU जॉइंट सेक्रेटरी दीपिका झा ने प्रोफेसर को जड़ा थप्पड़: कहा- नशे में थे, गालियां दे रहे थे; पुलिस की मौजूदगी में हुई घटना CCTV में कैद DUSU की जॉइंट सेक्रेटरी दीपिका झा (ABVP) ने दिल्ली के अंबेडकर कॉलेज के प्रोफेसर सुजीत सिंह को थप्पड़ जड़ दिया। घटना के वक्त अंबेडकर कॉलेज के प्रिंसिपल, ज्योति नगर थाने के SHO और अन्य पुलिसकर्मी वहीं मौजूद थे। पूरी खबर पढ़ें....
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