पंजाब स्टेट ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन में 270 पदों पर भर्ती निकली है। इस भर्ती के आवेदन का आज यानी 16 दिसंबर को आखिरी दिन है। उम्मीदवार ऑफिशियल वेबसाइट pstcl.org पर जाकर अप्लाई कर सकते हैं। वैकेंसी डिटेल्स : एजुकेशनल क्वालिफिकेशन : पद के अनुसार, ग्रेजुएशन की डिग्री, बीई, बीटेक, सीए, सीडब्ल्यूए, सीएमए, संबंधित क्षेत्र में डिप्लोमा पंजाबी विषय के साथ 10वीं पास होना जरूरी। एज लिमिट : फीस : सिलेक्शन प्रोसेस : सैलरी : पद के अनुसार, 35400 - 47600 रुपए प्रतिमाह टेलिफोन मैकेनिक, एलडीसी, अकाउंट्स के लिए एग्जाम पैटर्न : पंजाबी लैंग्वेज टेस्ट : एलडीसी, टाइपिस्ट के लिए मेन्स एग्जाम पैटर्न : ऐसे करें आवेदन : ऑफिशियल वेबसाइट लिंक ऑफिशियल नोटिफिकेशन लिंक सरकारी नौकरी की ये खबरें भी पढ़ें... IIT भुवनेश्वर में नॉन टीचिंग के 101 पदों पर भर्ती; एज लिमिट 55 साल, सैलरी 2 लाख 18 हजार तक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान भुवनेश्वर (IIT Bhubaneswar) ने नॉन टीचिंग के पदों पर वैकेंसी निकाली है। इस भर्ती अभियान के तहत संस्थान में तकनीकी और प्रशासनिक श्रेणी के 101 पदों पर भर्ती की जाएगी। पूरी खबर यहां पढ़ें केंद्रीय विद्यालय में 2499 पदों पर निकली भर्ती; 26 दिसंबर लास्ट डेट, 15 फरवरी 2026 को एग्जाम केंद्रीय विद्यालय संगठन (KVS) ने 2499 पदों पर नई भर्ती का नोटिफिकेशन जारी किया है। इस भर्ती के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। उम्मीदवार ऑफिशियल वेबसाइट kvsangathan.nic.in पर जाकर अप्लाई कर सकते हैं। पूरी खबर यहां पढ़ें
नाम बदलने की राजनीति दुनिया भर में आम है। मुल्कों, शहरों, सड़कों, इमारतों के नाम बदले जाते हैं। भारत में भी यह प्रक्रिया उत्साह से चलाई गई। एक दौर में जो नाम बदले गए, उनका तर्क स्थानीय परम्परा और पहचान को लौटा लाने का था। इस तर्क से बॉम्बे को मुम्बई किया गया, मद्रास को चेन्नई और कलकत्ता को कोलकाता। ब्रिटिश शासन के समय अंग्रेज शासकों के नाम पर रखे गए नाम भी बदले गए। कर्जन रोड कस्तूरबा गांधी मार्ग हो गया और कनॉट प्लेस राजीव गांधी चौक। हालांकि मुंह पर चढ़े पुराने नाम आसानी से पीछा नहीं छोड़ते। कनॉट प्लेस भी बना हुआ है। वैसे बीते दिनों नाम बदलने की जो मुहिम चली है, उसका वास्ता मजहबी पहचान और साम्प्रदायिक राजनीति के आग्रह से दिखता है। खासकर मुस्लिम पहचानों की स्टीरियोटाइपिंग की भी कोशिश दिख रही है। दिल्ली में सबसे लंबे समय तक राज करने वाले बादशाह औरंगजेब के नाम पर चलती आ रही सड़क का नाम एपीजे अब्दुल कलाम मार्ग कर दिया गया- यह कहते हुए कि हमें औरंगजेब जैसे नहीं, कलाम जैसे मुसलमान चाहिए। इलाहाबाद को फिर भी प्रयागराज के रूप में कभी जाना जाता था, लेकिन बहुत लोकप्रिय नामों को बहुत अनजान और संस्कृतनिष्ठ नामों से बेदखल किया जा रहा है। इस वजह से हमारे शहर हमारे ही स्मृति-कोश से बाहर होते जा रहे हैं। नाम बदलने की मुहिम में एक नया उत्साह दिख रहा है। पहले कहा गया कि मनरेगा यानी महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना का नाम पूज्य बापू रोजगार गारंटी योजना किया जाएगा। लेकिन फिर खबर आई कि इसकी जगह एक नया नाम चुना गया है- विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण)। हिंदी-अंग्रेजी मिले ऐसे अजीब-से नाम की क्या जरूरत थी? क्योंकि इसका संक्षिप्त रूप वीबी-जी राम जी बनता है। क्या यह महात्मा गांधी को पहले पूज्य बापू और फिर राम जी से विस्थापित करने की कोशिश है? इसके पीछे छुपी मंशा समझना मुश्किल नहीं है। लेकिन नाम बदलने की इस राजनीति में मूल मुद्दे और असुविधाजनक सवाल पीछे रह गए हैं। इस नए कानून में रोजगार गारंटी सौ दिन की नहीं, सवा सौ दिन की होगी। इससे संदेश जाता है कि सरकार ने मजदूरों का, दिहाड़ी पर काम करने वाले लोगों का बहुत खयाल रखा। लेकिन हकीकत क्या है? शनिवार के ‘दैनिक भास्कर’ में ही छपी खबर के मुताबिक केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री कमलेश पासवान ने राज्यसभा में जानकारी दी कि मनरेगा के तहत बीते पांच वर्षों में प्रतिवर्ष औसतन 50.24 दिन का रोजगार मिला है। यानी फिलहाल 100 दिन की गारंटी भी पूरी नहीं की जा रही है, फिर इसे 125 दिन कर देने के दिखावे का क्या मतलब है? सरकार रोजगार दे नहीं पा रही या लोग लेने नहीं आ रहे? दोनों ही सूरतों में 125 दिन की गारंटी का दिखावा तार-तार हो जाता है। समस्या बस इतनी नहीं है। सरकार का कहना है कि इस योजना पर अमल राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है, केंद्र का काम बस इसकी समीक्षा करना है। लेकिन राज्यसभा में सरकार यह जानकारी भी दे रही है कि इस 5 दिसंबर तक मनरेगा के मद के 9746 करोड़ से ज्यादा की रकम बकाया है। यह 2025-26 के मनरेगा के बजट का करीब 27 फीसदी है। तो सच्चाई यह है कि बीते करीब दो दशकों में जिस योजना ने इस देश के गरीब मजदूरों का पलायन कुछ घटाया, उद्योग-धंधों में चलने वाला उनका शोषण कुछ कम किया, उसे ठीक से लागू तक नहीं किया जा रहा है। नाम महात्मा गांधी रखिए, पूज्य बापू या जय राम जी- योजना अमल में आएगी तो लोगों का भला होगा, वरना आखिरी आदमी तक पहुंचने का जो जंतर गांधी ने दिया था, वही नाकाम हो जाएगा और रामराज्य भी अधूरा रह जाएगा।(ये लेखक के निजी विचार हैं)
दाड़लाघाट (सोलन)। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय दानोघाट में एचआईवी/एड्स जागरूकता अभियान के तहत एक महत्वपूर्ण शिविर का आयोजन किया गया।
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