हम सभी जानते हैं कि देश में हर आयु-वर्ग के लोगों में जैसे-जैसे मोटापा बढ़ रहा है, वैसे ही दौड़ने की आदत भी बढ़ रही है। लेकिन हम यह भी जानते हैं कि किसी भी अन्य गतिविधि की तुलना में दौड़ने में चोट लगने का जोखिम ज्यादा है। मैं यहां खराब सड़कों या फुटपाथों के कारण टखने में मोच जैसी चोट की बात नहीं कर रहा हूं, बल्कि जरूरत से अधिक दौड़ने के कारण होने वाली चोटों (ओवरयूज इंजरी) की बात कर रहा हूं। किसी भी नियमित धावक से उसके घुटनों के बारे में पूछें। परंपरागत तौर पर वे सभी कहेंगे कि हर एक कदम पर उनके शरीर के वजन से तीन गुना ज्यादा भूमि प्रतिक्रिया-बल लगता है। इससे घुटनों, पैरों और पैर के निचले हिस्सों पर बार-बार चोटें लगती हैं। लेकिन अपने तरीके के एक सबसे विशाल अध्ययन ने इस परंपरागत सोच को बदल दिया है, जिसमें 18 महीने तक औसतन 45 वर्ष आयु के 5200 से अधिक धावकों को शामिल किया गया था। उनका कहना है कि ये छोटी-मोटी चोटें या दर्द समय के साथ नहीं बढ़तीं, बल्कि सामान्यत: गलत तरीके से की गई महज एक कसरत या दौड़ के बाद शुरू होती हैं। और अक्सर ऐप्स और स्मार्ट स्पोर्ट्स वॉच की भ्रामक सलाह से ये और बदतर हो जाती हैं। यह अध्ययन डेनमार्क के आरहुस विश्वविद्यालय में जन-स्वास्थ्य विभाग के सहायक प्रोफेसर रैसमस ओएस्टरगार्ड नील्सन द्वारा किया गया था और हाल ही ब्रिटिश जर्नल ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन में प्रकाशित हुआ। इस अध्ययन ने धावकों के चोटिल होने के तरीके और कारणों को लेकर एक बेहतर समझ प्रदान की। सर्वे में पाया गया कि अधिकतर धावकों को चोट तब लगी, जब उन्होंने अपनी सबसे लंबी रही दौड़ की दूरी को तीस दिन के भीतर ही दूसरी बार बढ़ा दिया। 18 महीने की शोध-अवधि में चोटिल हुए 35% प्रतिभागियों की करीबी निगरानी करने वाले सर्वे में कहा गया है कि आकस्मिक तौर पर दूरी जितनी बढ़ाई जाती है, उतना ही धावकों के चोटिल होने की संभावना बढ़ती है। उदाहरण के लिए, अगर धावकों ने दौड़ की दूरी 5 किमी प्रतिदिन से बढ़ाकर 10 किमी कर दी, तो चोट का खतरा 128% बढ़ गया। जिन धावकों ने दूरी में 30% की वृद्धि की या 5.5 किमी से 6.5 किमी कर दी तो उनमें चोट लगने की जोखिम 64% बढ़ गई थी। एक और आदत है, जो चोट के जोखिम को बढ़ाती है, वह है दौड़ने के तरीके में अचानक बदलाव। मसलन, गति में अचानक बढ़ोतरी, किसी नई सतह पर बहुत अधिक दौड़ना या नए जूतों से बहुत दूरी तक दौड़ना। शोधकर्ताओं ने दौड़ में चोटों से बचने के लिए कुछ नए नियम सुझाए हैं। तो दौड़ना कैसे शुरू करें? पहली सलाह है कि सावधानी रखें। नए धावकों को प्रति सप्ताह 6 किलोमीटर से अधिक नहीं दौड़ना चाहिए। वॉक और दौड़ के कॉम्बिनेशन में भी दूरी इससे अधिक ना रखें। फिर धीरे-धीरे इसे हफ्ता-दर-हफ्ता बढ़ाएं। यदि आप मध्य आयुवर्ग में हैं तो आमतौर पर एक दौड़ में महज 3% ही वृद्धि की सलाह दी जाती है, 5% भी नहीं। जूतों को कब बदलें? इस बारे में 1985 में अमेरिकन जर्नल ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन में थंबरूल तय किया गया था। इसमें शोधकर्ताओं ने दबाव और दूरी से जूतों पर पड़ने वाले असर को मापने के लिए मशीनों और दो इंसानों का उपयोग किया। अध्ययन में सिफारिश की गई कि 750 किमी के बाद नए जूते खरीदने चाहिए। हालांकि, जूतों का टिकाऊपन हमेशा इस पर निर्भर करता है कि दौड़ने की स्टाइल क्या है और दौड़ शुरू करते वक्त वजन कितना है। पेशेवर दौड़ की शुरुआत करने वालों को सलाह दी जाती है कि वे दो जोड़ी जूते खरीदें और बदल-बदलकर पहनें। ताकि पसीना सूख पाए और जूते के मिड-सोल फोम को डी-कम्प्रेस होने का समय मिले। नया अध्ययन बताता है कि जब आप नए जूते खरीदते हैं या बदलते हैं तो पहले दो सत्रों में चोट का जोखिम अधिक होता है। जब भी आप नए जूते खरीदें तो शरीर को एडजस्ट करने और आराम व असुविधा के प्रति प्रतिक्रिया देने का समय दें। फंडा यह है कि जैसे हर चीज की अति बुरी होती है, वैसे ही फिट रहने और एक बार में ही बहुत अधिक वजन कम करने के लालच में अत्यधिक दौड़ना भी नुकसानदायक है। बिना चोट लगाए फिट रहने के लिए कैसे दौड़ना है, इसे समझने के लिए धैर्य की आवश्यकता है।
Are Bananas Safe for Diabetics: केले में मौजूद नेचुरल शुगर ब्लड शुगर लेवल को प्रभावित कर सकती है. एक केला खाने से शुगर लेवल में कोई खास बढ़ोतरी नहीं होती है, लेकिन दो केले एक साथ खाने पर ब्लड शुगर तेजी से बढ़ सकता है.
छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में अंबेडकर आवास के उपर मंजिल का आज बाउंड्रीवाल भरभरा कर गिर गया। इससे नीचे में एक बच्ची बाल-बाल बच गई। इस तरह जर्जर हुए अंबेडकर आवास के कारण कभी कोई बड़ा हादसा घटित होने की संभावना बनी हुई है। वार्ड नंबर 24 आईटीआई काॅलोनी के पास बने अंबेडकर आवास की बिल्डिंग अब लगभग जर्जर हो चुकी है। बारिश के महिने में लोगों को यहां रहने में भी डर सताने लगता है। गुरूवार की सुबह अचानक बिल्डिंग के उपर की बाउंड्री गिर गई। नीचे में एक बच्ची थी, लेकिन वह बाल-बाल बच गई। घटना के बाद आसपास के लोग काफी संख्या में वहां पहुंच गए और मामले की जानकारी निगम अमला को दी गई। बताया जा रहा है कि इस कारण यहां बिजली के तार भी टूट गए और बिजली व्यवस्था प्रभावित हो गई। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि बिल्डिंग पूरी तरह जर्जर हो चुकी है और इसकी जानकारी निगम के अधिकारियों को भी है, लेकिन कोई इस पर ध्यान नहीं दे रहा है। बारिश में गिर गई थी दीवार इससे पहले उपर मंजिल के घर की एक दीवार भी गिर गई। बारिश के कारण ऐसा हुआ था। उस दौरान घर में कोई नहीं था। हांलाकि दीवार टूटकर बाहर की ओर गिरा, लेकिन आए दिन अंबेडकर आवास में इस तरह की घटनांए हो रही है। इसके बाद भी इसे गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। हो सकता है बड़ा हादसा अंबेडकर आवास में रहने वाले लोगों ने बताया कि यहां तकरीब 2 से 3 सौ मकाने हैं और इसे बने तकरीबन 17 साल से अधिक समय हो चुके हैं। ऐसे में लगभग हरेक मकान बदहाल हालत में है। उपर के मकानों की हालत ज्यादा खराब है। बारिश के दिनों में घरों के भीतर तिरपाल लगाकर रखना पड़ता है। ऐसे में कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।
Indian News 20 द्वारा इस दिन पोस्ट की गई रविवार, 13 दिसंबर 2020
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