गाजीपुर के रुकूनुद्दीनपुर गांव में बीजेपी कार्यकर्ता सीताराम उपाध्याय की मौत के बाद से तनाव बना हुआ है. गांववालों ने पुलिस पर लाठीचार्ज करने का आरोप लगाया है, जिससे उपाध्याय की मौत हुई. बीजेपी नेता राम तेज पांडे ने पुलिस अधीक्षक पर आरोप लगाते हुए बर्खास्तगी और दोषियों पर हत्या का केस दर्ज करने की मांग की है.
अंबिकापुर विधानसभा की मतदाता सूची में सैकड़ों की संख्या में संदिग्ध वोटर हैं। अंबिकापुर शहर के 111 मतदान केंद्रों पर 388 ऐसे मकान हैं, जहां 20 या उससे अधिक मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में दर्ज हैं और ऐसे मतदाताओं की संख्या 10662 है। वहीं 360 से अधिक मतदाता डुप्लीकेट हैं। टीएस सिंहदेव ने कांग्रेस के अंबिकापुर शहर के बीएलए की बैठक में इसका खुलासा करते हुए कहा कि इससे वोट चोरी का अंदेशा है। पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने बताया कि शहर में कुछ ऐसे मकान भी मौजूद हैं, जहां 150 से अधिक मतदाताओं के नाम एक ही मकान नंबर पर पंजीकृत हैं। प्रारंभिक जांच में यह भी स्पष्ट हुआ है कि अकेले अंबिकापुर विधानसभा में 630 से अधिक डुप्लीकेट वोटर मौजूद हैं। सिंहदेव ने कहा कि सभी बीएलए इसकी पड़ताल करें और स्वच्छ मतदाता सूची तैयार करने में सहयोग करें। कांग्रेस आयोजित कर रही है संवाद कार्यक्रम जिला कांग्रेस कमेटी सरगुजा के द्वारा नवनियुक्त जोन अध्यक्षों, सेक्टर प्रभारी और बीएलए के लिए ब्लॉकवार अनुसार संवाद कार्यक्रम आयोजित कर रही है। अंबिकापुर शहर ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के जोन अध्यक्ष, सेक्टर प्रभारी एवं बीएलए की बैठक जिला कांग्रेस कमेटी कार्यालय में आयोजित हुई। सिंहदेव बोले- वोट चोरी का अंदेशाकांग्रेस पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए टीएस सिंहदेव ने कहा कि हरियाणा चुनाव के बाद से ही पार्टी नेतृत्व को ऐस लग रहा था कि नतीजे गड़बड़ हैं। महाराष्ट्र चुनाव के एकतरफा नतीजों ने इस धारणा को और पुष्ट किया। सिंहदेव ने कहा कि 7 अगस्त को पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने उन तथ्यों को सामने रख दिया जो कि वोट चोरी के ठोस सबूत थे। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग का व्यवहार भाजपा के अनुषांगिक संगठन की तरह का है। चुनाव आयोग की घोषणा के पहले ही भाजपा आईटी सेल चुनाव तारीखों की घोषणा कर देती है। चुनावों की घोषणा के पहले आयोग प्रधानमंत्री को उद्घाटन और लोकार्पण के अवसर देता है। चुनाव के चरणों को तय करते समय आयोग इस बात का ध्यान रखता है कि प्रधानमंत्री को प्रचार का अवसर मिले। सिंहदेव ने कहा कि अब जब मतदाता सूचियों में भारी गड़बड़ी सामने आ रही है, और इन गड़बडिय़ों की जांच के बजाय आयोग सीनाजोरी कर रहा है ऐसे में यह धारणा पुष्ट हो रही है कि आयोग भाजपा का अनुषांगिक संगठन है। मतदाता सूची में हेराफेरी के लिए भाजपा के पास एक बडा तंत्र मौजूद है। उनसे सतर्क रहने की आवश्यकता है। पार्टी के नवनियुक्त BLA को संबोधित करते हुए सिंहदेव ने कहा कि सर्वाधिक जिम्मेदारी आप पर है। आपको भरपूर सतर्कता के साथ काम करना है। बैठक को संबोधित करते हुए कांग्रेस जिलाध्यक्ष बालकृष्ण पाठक ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने छत्तीसगढ में भी मतदाता सूचियों में मौजूद गड़बडिय़ों को पकड़ने का काम प्रारंभ कर दिया है। उन्होंने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के द्वारा मतदाता सूचियों की जांच हेतु तय बिंदुओं की जानकारी देते हुए जल्द से जल्द अपना प्रतिवेदन देने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि मतदाता सूचियों की विसंगतियों की जांच कर उन्हें शीघ्र ही आमजनता और प्रशासन के समाने प्रस्तुत किया जाएगा। बैठक को अजय अग्रवाल, पीसीसी उपाध्यक्ष जेपी श्रीवास्तव, पीसीसी महामंत्री द्वितेन्द्र मिश्रा एवं पूर्व कांग्रेस जिलाध्यक्ष राकेश गुप्ता ने भी संबोधित किया। इस दौरान ब्लॉक कांग्रेस कमेटी अम्बिकापुर शहर के अध्यक्ष हेमंत सिन्हा, ग्रामीण के अध्यक्ष विनय शर्मा, संजय विश्वकर्मा, मो. इस्लाम, विनित विशाल जायसवाल, इंद्रजीत सिंह धंजल, दुर्गेश गुप्ता, अनिल सिंह, अनूप मेहता सहित अम्बिकापुर शहर ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के सभी सेक्टर प्रभारी एवं बीएलए मौजूद थे।
चुनाव सुधारों के लिए काम करने वाले संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) के को-फाउंडर और चुनाव सुधारों के प्रबल समर्थक प्रो. जगदीप एस छोकर का शुक्रवार सुबह दिल्ली में हार्ट अटैक से निधन हो गया। वे 81 साल के थे। प्रो. छोकर की इच्छा के अनुसार उनका शरीर रिसर्च के लिए लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज को डोनेट किया गया है। IIM अहमदाबाद में प्रोफेसर रहे छोकर ने 1999 में एडीआर की स्थापना की। इसके जरिए चुनावी पारदर्शिता के लिए कई कानूनी लड़ाइयां लड़ीं। उम्मीदवारों के बैकग्राउंड का खुलासा व इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम रद्द कराने जैसे सुधार उनकी कोशिशों के चलते ही संभव हो सके। उनकी इस प्रेरक यात्रा के बारे में बता रहे हैं एडीआर के प्रमुख रिटायर्ड मेजर जनरल अनिल वर्मा... इन सुधारों के पीछे प्रो. छोकर थे, कभी पता नहीं चलने दिया- योगेंद्र यादव जब प्रो. छोकर सहित 11 प्रोफेसर ने मिलकर एडीआर बनाया तो मुझे लगा कि प्रोफेसर लोग देश का लोकतंत्र क्या बदलेंगे और दो-चार कोर्ट केस से क्या फर्क पड़ जाएगा, पर मैं गलत साबित हुआ। एडीआर के संस्थापक और खासकर प्रो. छोकर जिस शिद्दत के साथ कोर्ट में केस लेकर गए, नतीजतन उम्मीदवारों को जानकारी सार्वजनिक करने का आदेश आया। इतना ही नहीं, जब एफिडेविट आने लगे, उसे रातोंरात जनता तक पहुंचाने का काम भी एडीआर ने किया। दलों के अकाउंट चेक किए उनकी गड़बड़ियां सामने भी लाए। सभी पार्टियां और सरकारें इनसे परेशान हुईं। एडीआर के इन कामों के प्रेरक रहे जगदीप छोकर। बेहद शांत, संयत व बिना स्वार्थ सिर्फ अपने काम में लगे रहने वाले छोकर ने प्रचार की इच्छा नहीं जताई। इसलिए चुनाव सुधारों के बड़े काम के पीछे किसका नाम था, किसी को पता नहीं चला। बस इतनी लगन थी कि देश का भला हो जाए। रिटायर होने के बाद कोई कुर्सी नहीं, कोई लाभ नहीं। अपना पैसा, समय और ऊर्जा लगाकर छोकर साहब ने लोकतंत्र के लिए लगातार जुटे रहे। 2024 के चुनाव में जब फॉर्म 17 नहीं आया तो वे बोले। इस साल एसआईआर आया तो सबसे पहले पहुंचने वाले प्रो. छोकर थे, उनकी याचिका सुप्रीम कोर्ट में मामले की प्रिंसिपल पिटिशन बनी।
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