हरमनप्रीत कौर की अगुवाई में भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने विश्व कप जीतकर इतिहास रच दिया है, जिसके बाद टीम का दिल्ली में भव्य स्वागत हुआ और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनसे मुलाकात करेंगे.2 नवंबर को मुंबई के डीवाई पाटिल स्टेडियम में दक्षिण अफ्रीका को 52 रनों से मात देने के बाद यह चैंपियन टीम दिल्ली पहुंची. मुंबई से लेकर दिल्ली एयरपोर्ट और फिर होटल तक, टीम का जोरदार स्वागत किया गया.
सवाल: मेरी शादी को तीन साल हो गए हैं। शुरुआत में सबकुछ बहुत अच्छा था। हम दोनों वर्किंग हैं तो वीक डेज में बहुत थोड़ा वक्त ही एक-दूसरे को दे पाते हैं। मैं चाहती थी कि वीकेंड हमारा हो। थोड़ा घूमने निकलें, एक-दूसरे से खुलकर बातें करें या बस साथ में घर पर टाइम बिताएं। लेकिन मेरे हसबैंड का हर वीकेंड उनके पेरेंट्स के घर पर बीतता है। वो सुबह से वहीं चले जाते हैं, पूरे दिन वहीं रहते हैं, कभी-कभी रात में भी वहीं रुक जाते हैं। मुझे ये अच्छा लगता है कि वो अपने पेरेंट्स की इतनी केयर करते हैं। पर मुझे भी वक्त चाहिए। मैं जब इस बारे में बात करती हूं, तो वो कहते हैं कि तुम ओवरथिंक करती हो, मैं सिर्फ अपना फर्ज निभा रहा हूं। लेकिन मेरे लिए ये सिर्फ फर्ज नहीं, बल्कि हमारे रिश्ते में इक्वल टाइम और अटेंशन की बात है। समझ नहीं आता कि मैं क्या करूं, उसे कैसे समझाऊं कि मैं उसके पेरेंट्स से दूर नहीं करना चाहती, बस हमारे बीच बैलेंस चाहती हूं। क्या ये नॉर्मल है कि पति अपनी वाइफ से ज्यादा पेरेंट्स को टाइम दे? या मुझे अपने रिएक्शन को बदलना चाहिए? एक्सपर्ट: डॉ. जया सुकुल, क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट, नोएडा जवाब: आप जो फील कर रही हैं, वह पूरी तरह से जायज है। शादी के तीन साल बाद रिश्ते में ये फीलिंग आना कोई अनोखी बात नहीं है। आपने बताया कि आपके पति हर वीकेंड पेरेंट्स के घर जाते हैं, उनकी हर बात मानते हैं और जब आप इस बारे में बात करती हैं तो वो कहते हैं कि आप ओवररिएक्ट कर रही हैं। इससे आपको लगता है कि वो आपको नेग्लेक्ट कर रहा है। आपको अभी अकेलापन या नाराजगी महसूस हो रही होगी, लेकिन अच्छी बात ये है कि आप इसे पहचान रही हैं और इसे सॉल्व करना चाहती हैं। देखते हैं कि आप क्या कर सकती हैं ताकि रिश्ते में बैलेंस आए। पति का पेरेंट्स से जुड़ाव गलत नहीं, लेकिन बैलेंस जरूरी भारत में परिवार की परंपरा बहुत गहरी है। बचपन से बच्चों को सिखाया जाता है कि माता-पिता का सम्मान सबसे ऊपर है। इसलिए आपके पति अगर उनके साथ ज्यादा समय बिताना चाहते हैं तो ये उनकी पूरी गलती नहीं है। ये उनकी भावनाओं और संस्कारों का हिस्सा है, लेकिन उन्हें समझना चाहिए कि शादी के बाद जिंदगी बदल जाती है। उसके बाद रिश्ता सिर्फ बेटे और पेरेंट्स का नहीं रहता, बल्कि इसमें पत्नी भी शामिल होती है। समस्या तब शुरू होती है जब पेरेंट्स के लिए झुकाव इतना ज्यादा हो जाए कि पत्नी खुद को साइडलाइन महसूस करे। आपकी फीलिंग्स वैलिड हैं, ये ओवररिएक्शन नहीं जब आप हसबैंड से कहती हैं कि मुझे भी तुम्हारा टाइम चाहिए, तो ये कोई आपका स्वार्थ नहीं है। ये आपकी इमोशनल जरूरत है। शादी में दोनों पार्टनर्स को एक-दूसरे से अटेंशन और बातचीत के लिए समय मिलना चाहिए। अगर पति हमेशा पेरेंट्स की ओर झुकाव रखता है, तो पत्नी खुद को साइडलाइन महसूस कर सकती है। आपने बताया कि आपके पति आसानी से बोल देते हैं कि तुम ज्यादा सोचती हो या मेरा परिवार है, दिक्कत क्या है। लेकिन सच्चाई ये है कि ये आपके इमोशंस सही हैं, जो रिश्ते की नींव को मजबूत करने के लिए जरूरी है। अगर इसे नजरअंदाज किया जाए, तो धीरे-धीरे रिसेंटमेंट बढ़ सकता है यानी मन में खटास आ सकती है। मैरिड लाइफ में कपल टाइम न होने से ट्रस्ट और इंटिमेसी कम होती है। आप ओवररिएक्ट नहीं कर रही हैं, ये आपका हक है कि रिश्ता बैलेंस्ड रहे। पुरुष ये बात क्यों नहीं समझ पाते कई बार पुरुषों को लगता है कि पेरेंट्स से दूर रहना या उनकी बात न मानना गलत है। ये असल में उनके बचपन के संस्कारों से आता है, जहां अच्छा बेटा बनना सबसे बड़ा फर्ज माना जाता है। लेकिन शादी के बाद अच्छा पति बनना भी उतना ही जरूरी है। अगर पति को लगता है कि पत्नी की बात सुनना पेरेंट्स से दूरी बनाना है, तो ये उनकी समझ की कमी है। जॉइंट फैमिली सिस्टम में ये समस्या काफी कॉमन है, जहां पेरेंट्स का प्रभाव ज्यादा रहता है। लेकिन पति-पत्नी को ये समझना जरूरी है कि मैरिड लाइफ में बैलेंस बनाना दोनों की जिम्मेदारी है। अगर पति आपकी भावनाओं को ओवररिएक्शन कहकर टाल देता है, तो ये रिश्ते में कम्युनिकेशन गैप दिखाता है। रिश्ते में असंतुलन के रेड फ्लैग्स अब बात करते हैं उन संकेतों की, जो बताते हैं कि रिश्ता असंतुलित हो रहा है। ये छोटी चीजें शुरू में नजरअंदाज की जाती हैं, लेकिन बाद में इनके कारण ही बड़ी समस्या बन जाती है। अगर पति हर वीकेंड पेरेंट्स के घर जाता है और आपको समय नहीं देता है तो ये नेगलेक्शन है। अगर वो आपकी राय लिए बिना पेरेंट्स की हर बात मानता है, तो ये डोमिनेंस दिखाता है। इसके अलावा, अगर आपकी बात सुनकर वो नाराज हो जाता है या कहता है कि तुम्हें दिक्कत क्यों है, तो ये इमोशनल इनवैलिडेशन है। ऐसे में रिश्ता टॉक्सिक बन सकता है और लंबे समय में डिप्रेशन या अलगाव तक पहुंच सकता है। खुद से पूछिए ये सवाल कभी-कभी कुछ सवालों के जवाब हमारे अंदर ही होते हैं। खुद से ईमानदारी से पूछिए- अगर ज्यादातर सवालों के जवाब नहीं हैं, तो बैलेंस बनाने की जरूरत है। ये सवाल आपको क्लियरिटी देंगे। ये याद रखिए कि रिश्ता दोनों का है और इसमें दोनों की खुशी जरूरी है। रिश्ते में बैलेंस बनाने के लिए क्या करें सबसे पहले आपस में खुलकर, लेकिन शांति से बात करें। सही समय चुनें, जैसे शाम को रिलैक्स मूड में बात करें। सीधे आरोप न लगाएं, बस अपनी फीलिंग्स शेयर करें। ये बातचीत रिश्ते को सुधार सकती है। कुछ चीजों के लिए बाउंड्री सेट करें। स्पष्ट रूप से कहें कि वीकेंड्स में पेरेंट्स के घर जाना ठीक है, लेकिन बीच-बीच में एक हफ्ता हमारा अपना टाइम भी होना चाहिए। बीच का रास्ता है सबसे अच्छा तरीका किसी भी सिचुएशन में बीच का रास्ता सबसे अच्छा हल होता है। कोशिश करें कि बातचीत से सब ठीक हो जाए। अगर इसमें समस्या आ रही है तो प्रोफेशनल मदद लेकर इसे सॉल्व करें। बैलेंस ही है इसका हल शादी का मतलब होता है कि कपल्स सभी फैसले मिल-जुलकर लेंगे। पेरेंट्स के लिए बेशक सम्मान होना चाहिए, लेकिन अपने पार्टनर की भावनाओं को भी उतना ही सम्मान देना जरूरी है। आप बेहद समझदार महिला हैं, जो अपने रिश्ते की समस्याओं को समझ रही है और उसे बचाना चाहती है। हिम्मत रखिए, धीरे-धीरे बातचीत से ये सब हल हो जाएगा। बीच का रास्ता निकालिए, सब ठीक होगा। .................. ये खबर भी पढ़िए रिलेशनशिप एडवाइज- हसबैंड और मेरे बीच लंबा एज गैप है:हम दोनों की चाहतें अलग हैं, यंग लड़कों से अट्रैक्शन फील करती हूं, क्या करूं 24 साल की उम्र में आप इमोशनल थीं, कॉलेज का रोमांस था और पिता की कमी के कारण शायद आपको बड़े उम्र के पार्टनर में वो सुरक्षा और मार्गदर्शन महसूस हुआ जो बचपन में नहीं मिला। ये कोई गलती नहीं, बल्कि जीवन का एक हिस्सा है। पूरी खबर पढ़िए...
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