लखनऊ, 11 नवंबर (भाषा) समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे और अंतिम चरण के मतदान के बाद आए लगभग सभी सर्वेक्षणों (एग्जिट पोल) को सत्ता पक्ष द्वारा पहले से तैयार ‘झूठे’ सर्वे करार दिया तथा मतदाताओं को ‘बदलाव के लिए ऐतिहासिक मतदान’ के वास्ते बधाई दी और विश्वास [...]
MPPSC Topper Success Story: ऋतिक सोलंकी MPPSC परीक्षा में सफलता हासिल करके चर्चा में आ गए हैं. सोलंकी की कहानी बहुत दिलचस्प है. इनके पिता ड्राइवर हैं. वहीं सोलंकी का मशहूर IAS सृष्टि देशमुख से भी कोई कनेक्शन है. आइए, जानते हैं कौन ऋतिक सोलंकी (Hrithik Solanki) और उनकी कहानी क्या है. The post MPPSC Topper और IAS सृष्टि देशमुख का अनसुना कनेक्शन! ड्राइवर पिता ने देखा था अफसर बनाने का सपना appeared first on Prabhat Khabar.
समाज कल्याण विभाग में भ्रष्टाचार के मामलों में शासन ने भले ही अन्य जिलों के चार अधिकारियों को निलंबित किया हो, लेकिन प्रयागराज में भी विभाग की योजनाओं में भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी हैं। यहां कई मामलों में जांच चल रही है, जबकि कुछ में कार्रवाई अभी तक लंबित है। प्रयागराज में राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना, वृद्धावस्था पेंशन योजना और आश्रम पद्धति विद्यालयों में बड़े पैमाने पर घोटाले सामने आए हैं। इन योजनाओं में अपात्रों को लाभ दिया गया, जबकि वास्तविक लाभार्थी भटकते रहे। मृतकों को जीवित और जीवितों को मृतक दर्शाने जैसी फाइलें अभी भी जांच के दायरे में हैं। वित्तीय वर्ष 2022-23 में राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना के तहत 30-30 हजार रुपये प्राप्त करने वाले 424 लाभार्थियों की सूची संदिग्ध पाई गई थी। सत्यापन के दौरान इनमें से 142 लाभार्थी अपात्र पाए गए। इस मामले में लगभग चार महीने पहले तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी त्रिनेत्र कुमार सिंह को निलंबित किया गया था। प्रयागराज के सुरवल सहनी, खाईं करछना, कौड़िहार और कोरांव स्थित आश्रम पद्धति विद्यालयों में भी अनियमितताएं सामने आई हैं। वित्तीय वर्ष 2018-19 से 2021-22 के बीच यहां 1.38 करोड़ रुपये के बजट का दुरुपयोग हुआ, जिसमें सामग्री खरीद के नाम पर धन का गबन किया गया। इस प्रकरण में एसआईटी ने मामला दर्ज किया है, लेकिन जांच अभी भी अधूरी है। वृद्धावस्था पेंशन योजना में भी बड़ी अनियमितताएं मिली हैं। पिछले तीन वर्षों में लगभग 450 जीवित बुजुर्गों को मृत घोषित कर दिया गया था। इन पीड़ितों को महीनों तक कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़े, लेकिन तत्कालीन अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया। हाल ही में जिला समाज कल्याण अधिकारी रामशंकर पटेल के निर्देश पर हुए सत्यापन में यह खुलासा हुआ है। अब इन लाभार्थियों को दोबारा जीवित दर्ज किया जा रहा है। विभागीय स्तर पर कार्रवाई और जांचों की रफ्तार को लेकर सवाल उठने लगे हैं। शासन ने भ्रष्टाचार पर सख्ती का संदेश तो दे दिया है, मगर प्रयागराज सहित कई जिलों में फाइलें अब भी दफ्तरों की अलमारियों में धूल फांक रही हैं।
Indian News 20 द्वारा इस दिन पोस्ट की गई रविवार, 13 दिसंबर 2020
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