लखीमपुर खीरी। ग्राम गुलरिया विकास खंड रमियाबेहड़ के 25 किसानों ने जिलाधिकारी को प्रार्थना पत्र देकर खाद वापस दिलाने और कालाबाजारी करने वालों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।
किसी भी देश के विकास की असली कुंजी उसकी शिक्षा व्यवस्था होती है. जब शिक्षा मजबूत होगी, तभी आने वाली पीढ़ियां देश को ऊंचाइयों तक ले जाएंगी. ऐसे में शिक्षा मंत्री की भूमिका सबसे अहम मानी जाती है. अगर शिक्षा मंत्री खुद पढ़ाई-लिखाई में आगे रहे हों और शिक्षा व्यवस्था की जरूरतों को अच्छी तरह समझते हों, तो बदलाव और सुधार की राह आसान हो जाती है. हमारे देश में यह जिम्मेदारी धर्मेंद्र प्रधान के कंधों पर है.धर्मेंद्र प्रधान पिछले कुछ समय से भारत के शिक्षा मंत्री हैं और इससे पहले भी वे कई अहम विभागों की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. दिलचस्प बात यह है कि धर्मेंद्र प्रधान खुद पढ़ाई-लिखाई में काफी आगे रहे हैं और उनकी शैक्षणिक पृष्ठभूमि इस बात का सबूत देती है.भुवनेश्वर की उत्कल यूनिवर्सिटी से की पढ़ाईधर्मेंद्र प्रधान की हायर एजुकेशन की बात करें तो उन्होंने ओडिशा की मशहूर उत्कल यूनिवर्सिटी, भुवनेश्वर से मानवशास्त्र (Anthropology) में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की है. यह डिग्री उन्होंने साल 1990 में पूरी की थी. मानवशास्त्र यानी Anthropology वह विषय है जिसमें इंसानों के सामाजिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहलुओं का अध्ययन किया जाता है. इस विषय की पढ़ाई ने उन्हें समाज की गहराई से समझ दी, जो आगे चलकर उनकी राजनीति में काफी काम आई.इससे पहले, धर्मेंद्र प्रधान ने साल 1988 में तालचेर कॉलेज से आर्ट्स में स्नातक (Graduation) की डिग्री पूरी की थी. इस तरह उनकी पढ़ाई की शुरुआती नींव आर्ट्स स्ट्रीम से बनी और आगे जाकर उन्होंने मास्टर्स के लिए मानव शास्त्र विषय चुना.बचपन से ही पढ़ाई में तेजधर्मेंद्र प्रधान अपने स्कूल और कॉलेज के दिनों से ही पढ़ाई में काफी तेज माने जाते थे. उनके शिक्षकों और दोस्तों का कहना है कि प्रधान न केवल पढ़ाई में आगे रहते थे, बल्कि सामाजिक गतिविधियों में भी सक्रिय रहते थे. यही कारण है कि पढ़ाई के साथ-साथ उनकी दिलचस्पी राजनीति की ओर भी बढ़ी.यह भी पढ़ें -UP Police: UP पुलिस के आवेदन फॉर्म में हो गई है गलती? आयोग ने दिया सिर्फ एक मौका, जानें कैसे कर सकते हैं सुधारकॉलेज से ही राजनीति में सक्रियताधर्मेंद्र प्रधान की राजनीति की शुरुआत कॉलेज के दिनों से ही हो गई थी. पढ़ाई के दौरान वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़ गए थे. इसके साथ ही उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से भी संबंध बनाए. धीरे-धीरे उनकी पहचान छात्र राजनीति में मजबूत होती गई और यही पहचान उन्हें राष्ट्रीय राजनीति तक ले आई.प्रधान ने शुरुआत में ओडिशा की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई और बाद में केंद्र की राजनीति में आकर उन्होंने अपनी अलग जगह बनाई. कई मंत्रालयों में काम करने के बाद उन्हें शिक्षा मंत्री की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई. यह भी पढ़ें - अजित पवार से बहस के बाद चर्चा में आईं IPS अंजना, जानें UPSC में मिली थी कौन सी रैंक?
Indian News 20 द्वारा इस दिन पोस्ट की गई रविवार, 13 दिसंबर 2020
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