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सरकारी नौकरी:RRB NTPC भर्ती के लिए आवेदन की तारीख बढ़ी, अब 27 नवंबर तक ग्रेजुएट्स कर सकेंगे अप्लाई

रेलवे भर्ती बोर्ड (RRB) ने ग्रेजुएट लेवल एनटीपीसी भर्ती के लिए आवेदन करने की आखिरी तारीख बढ़ा दी है। अब उम्मीदवार 27 नवंबर 2025 तक ऑफिशियल वेबसाइट rrbapply.gov.in पर जाकर ऑनलाइन अप्लाई कर सकते हैं। पहले आवेदन की लास्ट डेट 20 नवंबर थी जिसे एक्सटेंड किया गया है। एप्लिकेशन फीस पेमेंट की आखिरी तारीख 29 नवंबर, 2025 है। मॉडिफिकेशन विंडो 30 नवंबर को खुलेगी और 09 दिसंबर, 2025 को बंद हो जाएगी। वैकेंसी डिटेल्स : एजुकेशनल क्वालिफिकेशन : किसी भी विषय में ग्रेजुएशन की डिग्री एज लिमिट : फीस : सिलेक्शन प्रोसेस : सैलरी : एग्जाम पैटर्न : सीबीटी - 1 एग्जाम : सीबीटी - 2 एग्जाम : जरूरी डॉक्यूमेंट्स : ऐसे करें आवेदन : ऑफिशियल वेबसाइट लिंक ऑफिशियल नोटिफिकेशन लिंक सरकारी नौकरी की ये खबरें भी पढ़ें उत्तर प्रदेश में होमगार्ड के 41,424 पदों पर निकली भर्ती; 10वीं पास को मौका, एज लिमिट 30 साल उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड (UPPBPB) ने होमगार्ड के 41,424 पदों पर भर्ती निकाली है। उम्मीदवार ऑफिशियल वेबसाइट uppbpb.gov.in पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। फीस जमा करने की आखिरी तारीख भी 17 दिसंबर तय की गई है। पूरी खबर यहां पढ़ें उत्तराखंड में नर्सिंग ऑफिसर के 180 पदों पर भर्ती का नोटिफिकेशन जारी; 20 नवंबर से आवेदन शुरू, सैलरी 69 हजार से ज्यादा उत्तराखंड चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड (UKMSSB) की ओर से नर्सिंग ऑफिसर के पदों पर भर्ती निकली है। इस भर्ती के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। उम्मीदवार ऑफिशियल वेबसाइट ukmssb.org पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। फीस जमा करने की आखिरी तारीख 10 दिसंबर तय की गई है। पूरी खबर यहां पढ़ें

विराग गुप्ता का कॉलम:संसद और सुप्रीम कोर्ट की शक्तियों पर नई बहस उभरी

2005 में संसद ने नेशनल टैक्स ट्रिब्यूनल कानून और 2013 में नया कम्पनी कानून पारित किया था। उसके बाद एनसीएलटी, एनसीएलएटी और दूसरे अन्य ट्रिब्यूनल में न्यायिक और प्रशासनिक सदस्यों की योग्यता, न्यूनतम आयु, कार्यकाल, सेवा शर्तों आदि के बारे में अनेक विवाद शुरू हुए। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद सरकार ने 2021 में ट्रिब्यूनल सुधार कानून में पुराने प्रावधानों को फिर से शामिल कर लिया, जिन्हें जस्टिस विनोद चन्द्रन ने नई बोतल में पुरानी शराब बताया है। चीफ जस्टिस गवई ने सदस्यों की नियुक्ति, सेवा शर्तों से जुड़े प्रावधानों को रद्द करने वाले फैसले में डॉ. आम्बेडकर को उद्धृत करते हुए कहा कि व्यक्तियों के बजाय संविधान सर्वोच्च है। कुछ महीने पहले गवई ने कहा था कि अफसरों की पृष्ठभूमि से आए सदस्य सरकार के खिलाफ फैसला देने में हिचकते हैं। इस फैसले से जुड़े तीन पहलुओं को समझना जरूरी है। 1. संसद की सर्वोच्चता : शाहबानो मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को संसद के कानून से रद्द कर दिया गया था। पटाखों पर प्रतिबंध के पुराने फैसले को सुप्रीम कोर्ट के नए जजों की पीठ ने बदल दिया। इसलिए संविधान के अनुसार संसद को इस बारे में नया कानून बनाने का अधिकार है। संविधान के बेसिक ढांचे को बचाने की आड़ में दरअसल यह सरकार और जजों के बीच न्यायिक नियुक्तियों में वर्चस्व की लड़ाई है। एक रिपोर्ट के अनुसार ट्रिब्यूनल में 3,56,000 लम्बित मामलों में 25 लाख करोड़ रु. फंसे हैं, जो जीडीपी का 7.5% है। इस विवाद से जुड़े अनेक पहलुओं का न्यायिक सुधारों के साथ आम जनता का सरोकार है। ट्रिब्यूनल के सदस्यों और चेयरमैन को हाईकोर्ट के जज और चीफ जस्टिस का दर्जा मिलता है तो फिर उनके आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका क्यों स्वीकार होनी चाहिए? इससे जुड़े मुद्दों के निराकरण के लिए अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के गठन और कॉलेजियम में सुधार के लिए संसद और सुप्रीम कोर्ट को पहल करनी चाहिए। इससे न्यायिक नियुक्तियों में सरकार और जजों की मनमर्जी और हस्तक्षेप कम होने के साथ संवैधानिक मूल्यों का वर्चस्व बढ़ेगा। 2. तीन दशक से विवाद : इस मामले में मद्रास बार एसोसिएशन (एमबीए) की याचिकाओं पर पिछले 15 सालों में 5 फैसले आ चुके हैं। 2021 में जब नोटिस जारी हुआ था, तब जस्टिस गवई बेंच में जूनियर जज थे। नियमों के अनुसार मामले को सुनवाई के लिए जस्टिस गवई की बेंच के सामने ही आना चाहिए था। लेकिन यह जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस चन्द्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच के सामने सुनवाई के लिए कई बार गया था। संविधान से जुड़े मामलों की सुनवाई न्यूनतम तीन जजों की बेंच करती है। ऐसे मामलों में असहमति होने पर दो जजों के बहुमत का फैसला मान्य होता है। इसलिए संविधान पीठ के गठन की मांग को अस्वीकार करने के बावजूद इस मामले में न्यूनतम तीन जजों की बेंच का गठन होना ही चाहिए था। जस्टिस गवई की अध्यक्षता वाले 5 जजों की बेंच के नए फैसले से तमिलनाडु में राज्यपाल से जुड़े मामले में दो जजों का फैसला अब पुनर्विचार याचिका से निरस्त हो सकता है। उसी तरह से ट्रिब्यूनल मामले के इस फैसले के खिलाफ भी पुनर्विचार याचिका और संविधान पीठ के गठन की मांग के साथ नए सिरे से मुकदमेबाजी आगे बढ़ सकती है। 3. संविधान पीठ : तलाक-ए-हसन मामले में 5 जजों की संविधान पीठ के गठन की बात हो रही है। तो फिर ट्रिब्यूनल सुधारों से जुड़े महत्वपूर्ण मामले में अटॉर्नी जनरल की मांग के बावजूद संविधान पीठ के गठन की मांग को जस्टिस गवई ने स्वीकार क्यों नहीं किया? मामले को व्यक्तिगत मोड़ देकर उन्होंने कहा कि सरकार उनके रिटायरमेंट का इंतजार कर रही है। इस बारे में दो बड़े सवाल हैं। मद्रास बार एसोसिएशन से जुड़े 2010, 2014 और 2015 के तीन फैसले पांच जजों की बेंच ने दिए। उसके बाद 2021 में चौथे और 2022 में पांचवें फैसले को तीन जजों की बेंच ने दिया। तो अनुच्छेद-145 के अनुसार सुप्रीम कोर्ट में संविधान पीठ के गठन के क्या मापदंड हैं? दूसरे, पुराने मामलों के अनुसार ही फैसला होना था तो अन्य जज इस मामले में फैसले के अंजाम को कैसे बदल सकते थे? शाहबानो मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को संसद के कानून से रद्द कर दिया गया था। पटाखों पर प्रतिबंध के फैसले को नए जजों की पीठ ने बदल दिया। इसलिए संविधान के अनुसार संसद को इस बारे में नया कानून बनाने का अधिकार है।(ये लेखक के अपने विचार हैं)

लखनऊ में खादी महोत्सव का शुभारंभ:मंत्री ने सूत काता; उद्यमियों को आधुनिक मशीनें दीं, बोले-खादी स्वावलंबन की पहचान

लखनऊ के गोमती नगर स्थित केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में 10 दिवसीय खादी महोत्सव-2025 की शुरुआत कैबिनेट मंत्री राकेश सचान ने फीता काटकर की। मंत्री ने परंपरागत रूप से सूत कातकर आयोजन का औपचारिक शुभारंभ किया। चयनित लाभार्थियों को दोना मेकिंग मशीन, पॉपकॉर्न मशीन, हनी बॉक्स सहित कई आधुनिक उपकरण वितरित किए। मंत्री राकेश सचान ने कहा- खादी महोत्सव सिर्फ प्रदर्शनी नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम है। खादी हमारी परंपरा, स्वावलंबन और स्वदेशी सोच की पहचान है। सरकार का प्रयास है कि गांव के कारीगरों, बुनकरों और छोटे उद्यमियों को बड़े बाजार और आधुनिक तकनीक उपलब्ध कराई जाए। 160 से अधिक उद्यमी शामिल महोत्सव में 160 से अधिक उद्यमियों ने अपने उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई है। सहारनपुर के नक्काशीदार फर्नीचर, भदोही की कालीन, अमरोहा के गमछे-सदरी, सीतापुर की दरी और तौलिए, वाराणसी की रेशमी साड़ियां, प्रतापगढ़ के आंवला उत्पाद, बीकानेरी पापड़, लखनऊ की रॉयल हनी और लेदर उत्पाद खास आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। ग्रामीण इकाइयों को राज्य स्तरीय सम्मान मिला महोत्सव में चयनित लाभार्थियों को दोना मेकिंग मशीन, पॉपकॉर्न मशीन, हनी बॉक्स, विद्युत चालित चाक, पगमिल जैसे उपकरण दिए जा रहे हैं। साथ ही, उत्कृष्ट ग्रामोद्योग इकाइयों को राज्य स्तरीय पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।

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